सत्येंद्र नाथ बोस एक भारतीय mathematician और theoretical Physics में विशेषज्ञता वाले physicist थे।

कौन थे Satyendra Nath Bose ?

 उन्हें भारत सरकार द्वारा 1954 में Bose को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

आइंस्टीन ने बोस के पेपर "प्लैंक्स लॉ एंड हाइपोथिसिस ऑफ लाइट क्वांटा" का जर्मन में अनुवाद किया, और इसे 1924 में बोस के नाम के तहत ज़ेट्सक्रिफ्ट फर फिजिक में प्रकाशित करवाया था।

बॉस अपने माता-पिता के एक ही बेटे थे और उनके 6 छोटी बहने थी। उनका पुश्तैनी घर बंगाल प्रेसीडेंसी के नदिया जिले के बड़ा जगुलिया  के गांव में था।

Satyendra Nath Bose को Royal Society of London की तरफ से Fellow of the Royal Society का अवार्ड भी मिला था।

यह अवार्ड उन्हें दिया जाता है जिन्होंने "गणित, इंजीनियरिंग विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान सहित प्राकृतिक ज्ञान के सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। 

विज्ञान के अलावा बॉस ने बंगाली साहित्य और अंग्रेजी साहित्य में भी रिसर्च की। उन्होंने बंगाली भाषा को शिक्षण के रूप में सिखाने पर ज़ोर दिया।

राजशाही विश्वविद्यालय के मुख्य शैक्षणिक भवनों में से एक, नंबर 1 विज्ञान भवन का नाम हाल ही में Satyendra Nath Bose उनके नाम पर ही रखा गया है।

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